राजनीतिक संस्कृति से क्याआशय है ? इसके तत्त्वो एवं भागो ( components ) की व्याख्या कीजिए।
वर्तमान समय मेंराजनीति विज्ञान में जिननवीन अवधारणाओं ने प्रवेश प्राप्त किया है उनमें राजनीतिक संस्कृति निश्चित रूप से प्रमुख है ।संस्कृति की धारणा मूलतः मानवशास्त्र औरसमाजशास्त्र से सम्बन्धितहै । इसकेअन्तर्गत व्यक्ति व्यवहार केतरीके , उसकी मान्यताओं , सम्मान , कर्तव्य , अन्तरात्मा औरभौतिक उन्नति , आदिको सम्मिलित कियाजाता है ।ये सभी बातेंराजनीतिक क्षेत्र में भीअपना अस्तित्व रखतीहै और सामाजिक , आर्थिक , आदि जीवनके अन्य क्षेत्रोंमें भी ।संस्कृति राजनीतिक प्रसंग मेंआती है तोउसे राजनीतिक संस्कृतिकि संज्ञा दीजाती है तथापिराजनीतिक संस्कृति को समस्तसंस्कृति के सन्दर्भमें ही समझाजा सकता है।
आमण्डऔर पॉवेल केअनुसार , " राजनीतिक संस्कृति किसीराज - व्यवस्था केसदस्यों में राजनीतिके प्रति व्यक्तिगतअभिवृत्तियों और दिग्विन्यासोंका नमूना है। " बॉल केशब्दों में राजनीतिकसंस्कृति उन अभिवृत्तियों , विश्वासों , भावनाओं और समाजके मूल्यों सेमिलकर बनती है , जिनका सम्बन्ध राजनीतिक पद्धतिऔर राजनीतिक प्रश्नोंसे होता है। " हीज युलाऊके मतानुसार , " राजनीतिकसंस्कृति उन रूपोंकी ओर इशाराकरती है जिनकापूर्व अनुमान समूहोंके राजनीतिक व्यवहारसे तथा एकसमूह के सदस्योंके सामान्य विश्वासों , नियामक सिद्धान्तों , उद्देश्यों एवं मूल्योंसे लगाया जासकता है चाहेउस समूह काआकार कुछ भीक्यों न हो।
सिडनीवर्बा ने राजनीतिकसंस्कृति के विभिन्नपहलुओं का ध्यानमें रखते हुएइसकी व्यापक परिभाषादी है ।उसके अनुसार , राजनीतिकसंस्कृति में आनुभविकविश्वासों , अभिव्यक्तात्मक प्रतीकों और मूल्योंकी व्यवस्था निहितहै जो उसपरिस्थिति अथवा दशाको परिभाषित करतीहै जिसमें राजनीतिकक्रिया सम्पन्न होती है। ' लुसियन पाईके द्वारा राजनीतिकसंस्कृति की बहुतअधिक रोचक एवंविस्तृत व्याख्या की गयीहै । उनकेअनुसार राजनीतिक संस्कृति कीअवधारणा बताती है किकिसी सम जकी परम्पराएँ उसकीसार्वजनिक संस्थाओं की आत्मा , उसके नागरिकों की आकांक्षाएँऔर उनका सामूहिकविवेक तथा उसकेनेताओं के तरीकेऔर सक्रिय होनेके नियम , आदिकेवत - ऐतिहासिक अनुभव कीऊटपटाँग उपज नहींहै , वरन् येसब एक अर्थपूर्णसम्पूर्ण व्यवस्था के अंगहैं और सम्बन्धोंका एक बोधगम्यत्या स्पष्ट तानाबानाउपस्थित करते हैं।
राजनीतिकसंस्कृति व्यक्ति के लिए प्रभावशील राजनीतिक व्यवहार की दिशा में मार्ग - निर्देशन करती हैऔर समाज केलिए यह उनमूल्यों तथा विवेकपूर्णविचारों को व्यवस्थितरूप रचना प्रदानकरती है जोकि संस्थाओं औरसंगठनों के कार्यकलापोंमें मेल यासंगति बैठाते हैं। याई विषयको स्पष्ट करतेहुए आगे लिखतेहैं कि राजनीतिकसंस्कृति एक राजनीतिकव्यवस्था के सामूहिकइतिहास की उपजहै और उनव्यक्तियों की जीवनगाथाओं की उपजहै जिन्होंने हालही में इसव्यवस्था को बनायाहै । इसप्रकार राजातिक संस्कृति कीजड़ें सार्वजनिक घटनाओंऔर व्यक्तिगत अनुभवोंमें समान रूपनिहित हैं ।
राजनीतिकसंस्कृति के निर्माणकारीतत्त्व ( Creative Factors of Political Culture ) किसी भी देशकी राजनीतिक संस्कृतिको जानने केलिए वहाँ केराजनीतिक इतिहास को जाननाआवश्यक है , वैसेऔर भी कईतत्त्व राजनीतिक संस्कृति केनिर्माण में प्रभावकारीहोते हैं जोनिम्न प्रकार है।
ऐतिहासिक विकास ( Historical Development ) : लुसियन पाई कामत है कि , “ राजनीतिक संस्कृति की धारणायह मानती हैकि प्रत्येक व्यक्तिको अपने ऐतिहासिक प्रसंग में अपनेसमाज और उसकेलोगों की राजनीतिके बारे में ज्ञान तथा भावनाओं को जानना तथा अपने व्यक्तित्व में संयुक्त करना चाहिए। प्रत्येक पीढी राजनितिक शिक्षा पूर्व पीढी से सिखती है किसी भी देशकी प्राचीन राजनीतिक संस्कृति का प्रभाव उसकी वर्तमान स्थितिपर आवश्यक रू पसे पडता है। उदाहरण के लिये . इग्लैण्ड में राजनीतिक संस्कृति वहाँ कीराजनीतिक अनवरतता ( Political continuity ) का परिणाम है । जब कि फ्रांस राजनीतिक संस्कृति फ्रांसकी क्रान्ति कापरिणाम है ।
इसी प्रकार रूसऔर चीन कीराजनीतिक संस्कृति पर समाजवादीक्रान्ति प्रभाव है ।
भौगोलिक स्थिति ( Geographical Condition ) : भौगोलिकस्थिति राजनीतिक संस्कृति केनिर्माणकारी वों मेंमहत्त्वपूर्ण स्थान रखती है। संयुक्त राज्यअमरीका में रंग - भेद के होतेहुए भी उसकीविशाल सीमाओं तथाविशिष्ट मलिक स्थितिने स्वतन्त्रता तथासमानता के मूल्योंको विकसित होनेमें योग दियाहै । इसीप्रकार भारत मेंअनेक धर्म , भाषा , तरंग आदि केहोते हुए भीसभी एक साथरह सकते हैं। इसके विपरीतअफ्रीकी राष्ट्र अधिक गरमहैं और आकारमें छोटे वहाँसत्ता बन्दूक कीनोंक पर होनामामूली - सी बातहै । इसकेपीछे भौगोलिक स्थितिऔर जलवायु काप्रभाव होता है।
सामाजिकतथा आर्थिक संरचना ( Social and Economical Structure ) : सामाजिकतथा आर्थिक चनाका भी राजनीतिकसंस्कृति के निर्माणमें महत्त्वपूर्ण योगदानहै । सामाजिकतथा आर्थिक दृष्टिसे श्रेष्ठ समाजअपने यहाँ वराजनीतिक संस्कृति को जन्मदेता है ।जिससे प्रजातान्त्रिक शासनव्यवस्था सफलतापूर्वक चलती है। इंग्लैण्ड औरअमरीका राज्य व्यवस्था इसीप्रकार की है। जबकि एशियाऔर अफ्रीका केकई देशों मेंलोकतंत्र प्रणाली असफल होचुकी है ।
राजनीतिक स्थिरता ( Political Stability ) : राजनीतिकअस्थिरता के वातावरणमें राजनीतिक संस्कृतिका कास नहींहो सकता है , इसलिए राजनीतिक संस्कृति केविकास तथा कानूनऔर व्यवस्था बनाएरखने के लिएराजनीतिक यस्ता आवश्यक है। उदाहरण केलिए भारत औरपाकिस्तान एक साथआजाद हुए ।भारत में राजनीतिकस्थिरता रही , गामस्वरूप जनतन्त्रके प्रति जनताके मन मेंआस्था सुदृढ हुईहै जबकि पाकिस्तानमें राजनीतिक अस्थिरतारही है औरआज वहाँ राजनीतिकसंस्कृति का विकाससिसक रहा है।
धार्मिकविश्वास ( Religious Beliefs ) : धार्मिक विश्वास ने भीराजनीतिक संस्कृति के विकासमें प्रभाव ताहै । धर्मान्धताभाग्यवादिता को जगातीहै और भाम्यवादीव्यक्ति सभी कुछईश्वर की देनेऔर भाग्य कीनिवति मानकर चुपवाता है ।ऐसी स्थिति मेंराजनीतिक परिवर्तन सरलता सेसंभव नहीं होताहै । हिन्दूधर्म में सहिष्णुताहै , उसमें विरोधियोंको न करनेकी क्षमता हैजबकि इस्लाम धर्मकट्टर है , उसमेंविरोधी को बर्दाश्तनहीं किया जाताहै । यहीकारण है किमुस्लिम में लोकतान्त्रीकप्रणाली सफल नहींहुई है ।
अन्य तत्त्व ( Other Factors ) : इनके अतिरिक्त शिक्षा कास्तर जहाँ उच्चहोगा , वहाँ जनतन्त्रप्रणाली थिक सफलहोगी और जहाँअशिक्षा का बोलबालाहोगा , वहाँ राजतन्त्रया सैनिक शासनअधिक सफल होगातथा नस्ल कीस्यता भी प्रभावीहै । जोनस्ल प्रगतिशील विचारों , उदारता , परिवर्तनशील प्रकृति मेंविश्वास करती हैवह लोकतंत्र मेंरह ती हैलेकिन जहाँ अपनेधर्म , भाषा , रीति - रिवाजके दायरों मेंरहना ही सबकुछ समझ लियाहै वहाँ लोकतंत्रसफल नहीं पाताहै ।
राजनीतिकसंस्कृति के भाग ( Components of Political Culture ) राजनीतिकसंस्कृति के दोभाग है -
( १ ) अभिमुखीकरण अथवा अनुकूलन ( Orientation ) - डेनिश क्वानाग के मतानुसार , " अभिमुखीकरण मीतिक क्रिया केप्रति - व्यवस्था ( Pre - Disposition ) है औरपरम्पराओं , ऐतिहासिक स्मृतियों , उद्देश्यों , मानों ( Norms ) , वनाओं और चिह्नोंद्वारा निर्धारित होते हैं। रॉबर्ट ए . डहल के मतानुसार , राजनीतिक संस्कृति के अग्रपाँच अभिमुखीकरण है
१. समस्याओं के समाधानकरने के अभिमुखीकरण ( Orientation of Problems solving )
२. सामूहिक कार्य करने केप्रति अभिमुखीकरण ( Orientation towards Collective actions )
३. राजनीतिक प्रणाली के प्रतिअभिमुखीकरण ( Orientation towards Other People System )
४. दुसरों के प्रतिअभिमुखीकरण ( Orientation towards Other People )
५. अपने प्रतिअभिमुखीकरण ( Orientation towards self ) आमण्ड तथा पावेलने निम्न तीन व्यक्तिगत अभिमुखीकरण बताए हैं
ज्ञानात्मकअभिमुखीकरण ( Cognitive Orientation ) : इसका अर्थ हैकि व्यक्ति कोराजनीतिक गतिविधि धारणाओं तथासमस्याओं का कितनाज्ञान प्राप्त है।
भावात्मक अभिमुखीकरण ( Affective Orientations ) : भावात्मक अभिमुखीकरण काअर्थ यह हैकि एक व्यक्तिकी राजनीतिक व्यवस्था , राजनीतिक घटनाओं तथा गतिविधियोंके प्रति लगावहै अथवा नहीं।
मूल्यांकनात्मक अभिमुखीकरण ( Evaluative Orientation ) : राजनीतिक विषयों , समस्याओं , प्रश्नघटनाओं इत्यादि के सम्धब्धमें विचार - विमर्शकरते समय अथवानिर्णय लेते समयव्यक्ति जिन मूल्योंको ध्यान मेंरखता है उन्हेंमूल्यांकनात्मक अभिमुखीकरण कहते हैं।
राजनीतिकविषय ( Political Objects ) - इसका विवरणनिम्न प्रकार हैं i
राजनीतिक प्रणाली ( Political System ) : राजनीतिक प्रणाली मेंऔपचारिक एवं अनौपचारिक , कानूनी एक गैर - कानूनी सभी संस्थाओंकी गतिविधियाँ सम्मिलितहैं । राजनीतिकव्यवस्था के प्रतिअभिमुखीकरण यह जाननेमें सहायता करतेहैं कि व्यक्तियोंकी राजनीतिक व्यवस्थाके प्रति कितनालगाव या दुरावहै ।
राजनीतिकढाँचा ( Political Structure ) : राजनीतिक ढाँचा से अभिप्रायहै कि राजनीतिकव्यवस्था के ढाँचेके प्रति लोगोंका क्या दृष्टिकोणहै ? क्या लोगराजनीतिक व्यवस्था के कानूनोंको अपनी इच्छासे स्वीकार करतेहैं या भयके कारणा
नीतियाँतथा समस्याएँ ( Policies and Problems ) : राजनीतिक व्यवस्था जनतासे सम्बन्धित समस्याओंको हल करनेके लिए किसप्रकार की नीतियाँअपनाती हैं ? जन - कल्याणके लिए उसकीनीतियाँ कितनी प्रभावशाली ढंगसे कार्य करतीहै ? यदि जन - कल्याण नहीं होगातो जनसमर्थन नहींमिल पाएगा ।
व्यक्ति एक राजनीतिकअभिनेता के रूपमें ( Individual as the Political Actor ) : व्यक्ति के राजनीतिकविचार , उद्देश्य , विश्वास , आस्थातथा भावना उसकीराजनीतिक क्रियाओं एवं गतिविधियोंको प्रभावित करतीहैं ।
राजनीतिक संस्कृति की प्रमुखविशेषताएं
राजनीतिक संस्कृतिव्यक्ति तथा समूहके राजनीतिक आचरणका ज्ञान करातीहै । राजनीतिकसंस्कृति प्रगतिशील तथा समन्वयकारीहोती है ।राजनीतिक संस्कृति नष्ट नहोकर समयानुसार परिवर्तितहोती रहती है। राजनीतिक संस्कृतिको किसी समाजकी परम्पराओं , उसकीसार्वजनिक संस्थाओं की आत्मा , उसके नागरिकों की आकांक्षाओं , उनके सामूहिक विवेक , उसकेनेताओ , तरीके तथा सक्रियहोने के नियमआदि के द्वाराही समझा जासकता है ।राजनीतिक संस्कृति की विशेषताएँनिम्न प्रकार हैं।
राजनीतिक संस्कृतिमें अमूर्त स्वरूपप्रभावी होते हैं ( Abstract Factors are Effective in Political Culture ) :
राजनीतिक संस्कृति मेंजन समाज केमूल्यों और विश्वासोंका बहुत महत्त्वहोता है ।ये अमूर्त होतेहैं । जबजनता राज्य केप्रति अपना विद्रोहया आक्रोश प्रदर्शितकरती है , जोकि राज्य केकिसी कानून याकार्य के फलस्वरूपहोता है , विचारअमूर्त होते हैंजो राजनीतिक संस्कृतिको प्रभावित करतेहैं ।
राजनीतिकसंस्कृति गतिशील होती है ( Political Culture is Dynamic ) : व्यक्तिऔर समाज केजीवन मूल्य परिस्थितियोंऔर सामाजिक आवश्यकताओंके सन्दर्भ मेंपरिवर्तित होते रहतेहैं , इसी आधारपर राजनीतिक संस्कृतिभी गतिशील होतीहै । राजनीतिकसंस्कृति में उस समय भी परिवर्तन हो सकता है जबकि कोई नया विशिष्टजन अपनी संस्कृतिको दूसरों परथोपने का प्रयत्नकरें ।
राजनीतिक संस्कृति पर अराजनीतिक संस्कृति ( Non - Political Culture ) ( जिसमें परिवार , समाज , धार्मिकसंस्थाएँ , आर्थिक प्रणाली तथाविशिष्ट - जन सभीका योगदान होताहै ) तथा परिस्थितियोंका प्रभाव पड़ताहै । जिनसमाजों में राजनीतिकस्थायित्व होता है , उनमें परिवर्तन की गतिमन्द और परिवर्तनकी मात्रा सीमितहोती है , जबकिअन्य समाजों में पर्याप्त मात्रा में परिवर्तन होता है ।
नैतिक मूल्यों के प्रतिसमर्पण ( Dedication to Ethical values ) : राजनीतिक संस्कृति की नैतिकमूल्यो के प्रतिसमर्थन की आवश्यकताहोती है ।नैतिक मूल्यों कीस्थापना में कभीसमाज का धार्मिकस्वरूप योगदान देता हैऔर की सत्ताव्यवस्था का स्वरूपा
समन्वयकारीस्वरूप ( Combined Nature ) : राजनीतिक संस्कृति केजीवन में अनेकनये जीवन मूल्यआते तुलनात्मक शासनएवं राजनीति तेहैं । नयेऔर पुराने जीवनमूल्यों में संघर्षभी होता रहताहै । राजनीतिकसंस्कृति की विशेषतासमन्वय करने कीहोनी चाहिए ।उदाहरण के लिए , धर्मों , राजाओं , संस्कृतियों , भाषाओं , कलाओं को अपनेमें समाहित कियाहै और इतनाहोते हुए भीयह मन्द सेसदैव आगे बढ़तीरही है ।इंग्लैण्ड की संस्कृतिभी बडे - से - बडे परिवर्तन कोसहज ही स्वीकारकर लेती है।
राजनीतिकसंस्कृति का महत्त्व :
डेनिश क्वानाग ( Dennis Kuvanagh ) के अनुसारराजनीतिक संस्कृति की अवधारणाका महत्त्व अग्र i . समष्टि पक्षीय और व्यष्टिपक्षीय विधि मेंसमन्वय ( Combination between Macro Approach and JMicro Approach ) : राजनीतिकसंस्कृति की अवधारणइस बात परबल देती हैकि राजनीतिक व्यवस्थाका अध्ययन लोगोंकी समष्टि औरव्यष्टि विधि केआधार पर कियाजाए जिससे दोनोंविधियों में समन्वयहो सके ।
समाज की गतिशीलताका अध्ययन करनेमें सहायक ( Helpful for the Study of Dynamic Na are of the Society ) : राजनीतिक व्यवस्था तथा समाजमें होने वालेपरिवर्तनों को समझनेके लिए हमेंलोगों की इनीतिकसंस्कृति को ध्यानमें रखना चाहिए , क्योंकि जैसे - जैसे लोगोंके मूल्यों विश्वासों , अभिमुखीकरणों में परिवर्तनहोगा से - वैसेसमाज तथा राजनीतिकव्यवस्था में गतिशीलताआती है ।
राजनीतिक व्यवस्था का अध्ययनकरने में सहायक ( Helpful for the Study of Political Sys Em ) : राजनीतिकसंस्कृति के आधारहम राजनीतिक व्यवस्थाकी कार्यशीलता - निवेशप्रक्रिया ( Input process ) तथा तप्रक्रिया ( Output process ) का अध्ययनकर सकते हैं। iv . राजनीतिक प्रणाली मेंतुलनात्मक अध्ययन तथा अन्तरके आधार ( Basis of the Comparative Study and Distinction in Political System ) : राजनीतिकसंस्कृति की अवधारणालोगों के व्यवहारतथा अभिवृत्तियों अध्ययनमें सहायक है। यही अध्ययनविभिन्न राजनीतिक प्रणालीयों केतुलनात्मक अध्ययन में सहायकसिद्ध होता है।
आमण्डके अनुसार राजनीतिकसंस्कृति के प्रकार :
आमण्ड के अनुसारराजनीतिक संस्कृति के चारप्रकार होते हैं - i . आंग्ल - अमरीकन राज्य व्यवस्था ( Anglo - American Political system ) : इसप्रणाली में बहु - मूल्यों ली राजसंस्कृतियाँ मिलती है जिनमेंजनसंख्या का अधिकांशभाग कुल मूल्योंके समन्वय कीओर प्रतिबद्ध होताहै । इननयों में व्यक्तिगतस्वतन्त्रता , लोक - कल्याण तथासुरक्षा आदि है। यह तोसम्भव है किकोई समुदाय किसीएक मूल्य कोदूसरे = अधिक महत्त्वदे । परन्तुयह नहीं होसकता है किएक समुदाय किसीएक मूल्य कीपूर्ण रूप सेउपेक्षा कर दे। इसमें संस्कृतिइस सीमा तकसामंजस्यकारी है किउनमें राजनीतिक ध्येयोंऔर उनकी प्राप्तिआदि के साधनों के बारे में सामान्य सहमति है ।यह ब्रिटेन , अमरीका , कनाडा , स्विट्जरलैण्ड आदि देशोंमें पाई जातीहै ।
महाद्वीपीययूरोपियन राज्य - व्यवस्था ( Continental European Political Culture ) : इस प्रणालीमें राजनीतिक संस्कृतिमें एकता नहींपाई जाती है , क्योंकि समाज केविभिन्न वर्गों का सांस्कृतिकविकास अलग - अलगहुआ है इसलिएकुछ वर्ग दूसरोंकी अपेक्षा अधिकविकसित हैं ।इस प्रणाली मेंएक राजनीतिक संस्कृतिन होकर कईप्रकार की राजनीतिकउप - संस्कृतियाँ विद्यमानहै जिसके कारणइन देशों मेंसमय - समय परसंघर्ष और हिंसाकी स्थिति आतीरहती है ।इस प्रणाली केअन्तर्गत फ्रांस , जर्मनी तथाइटली आते हैं।
गैर - पाश्चात्य पूर्वऔद्योगिक या आंशिकरूप से औद्योगिकराज्य व्यवस्था ( Non - western Pre industrial or Partially Industrial Political Culture ) : प्राचीनताऔर आधुनिक केमध्य संघर्ष कीस्थिति में जीरहे राष्ट्र इसकेअन्तर्गत आते हैं। ये देशया तो अविकसितहैं या विकासशीलहै तथा यूरोपीयदेशों के उपनिवेशरह चुके हैं। इन देशोंमें भी मिश्रितराजनीतिक संस्कृति पाई जातीहै । उपनिवेशिककाल में इनदेशों की परम्परागतराजनीतिक संस्कृति पर यूरोपीयसंस्कृति थोपी गईथी , जिसके फलस्वरूपएक नवीन संस्कृतिका विकास हुआ। लेकिन प्राचीनऔर नई संस्कृतिमें समन्वय नहींहो सका ।इसमें भारत , एशियाऔर अफ्रीका के प्रजातान्त्रिक देश आतेहैं ।
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