इस ब्लॉग में हम भारत के इन 36 उप-राष्ट्रीय इकाइयों की संरचना, उनकी विशेषताएं और उनके महत्व को समझेंगे।
भारत, जिसे अक्सर "दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र" कहा जाता है, विविधताओं की भूमि है – न केवल संस्कृति और भाषाओं में, बल्कि इसकी प्रशासनिक संरचना में भी। जबकि यह एक संप्रभु राष्ट्र के रूप में कार्य करता है, यह 28 राज्यों और 8 केंद्र शासित प्रदेशों (UTs) से बना एक जीवंत मोज़ेक है। ये 36 उप-राष्ट्रीय इकाइयाँ भारतीय गणराज्य की आधारशिला हैं, जिनमें से प्रत्येक राष्ट्रीय पहचान में अपना अनूठा रंग जोड़ती है।
राज्य: शासन के मुख्य आधार
28 राज्य देश के प्राथमिक प्रशासनिक प्रभाग हैं। इनका गठन समय के साथ हुआ है, जो बड़े पैमाने पर भाषाई और सांस्कृतिक आधार पर किया गया है। यही कारण है कि आपको ऐसे राज्य मिलेंगे जहाँ मलयालम बोली जाती है (केरल) और उसके बगल में मराठी बोलने वाले राज्य (महाराष्ट्र) होंगे।
राज्यों की मुख्य विशेषताएँ:
- स्व-शासन: प्रत्येक राज्य की अपनी निर्वाचित राज्य सरकार होती है (जिसका नेतृत्व एक मुख्यमंत्री और एक राज्यपाल करते हैं)। उन्हें भारतीय संविधान की राज्य सूची (जैसे सार्वजनिक व्यवस्था, पुलिस, सार्वजनिक स्वास्थ्य, कृषि) और समवर्ती सूची में सूचीबद्ध विषयों पर कानून बनाने और शासन करने की उच्च स्वायत्तता प्राप्त है।
- राजधानी शहर: प्रत्येक राज्य की अपनी राजधानी होती है जो उसकी सरकार और विधानमंडल की सीट के रूप में कार्य करती है। उदाहरण के लिए, मुंबई महाराष्ट्र की राजधानी है, और बेंगलुरु कर्नाटक की राजधानी है।
- विधानमंडल: अधिकांश राज्यों में एकल-सदनीय विधानमंडल (केवल एक सदन, विधान सभा) है, हालाँकि कुछ में द्वि-सदनीय विधानमंडल (दो सदन: विधान सभा और विधान परिषद) हैं।
भारत की जनसंख्या और भू-भाग के विशाल आकार के लिए इस विकेन्द्रीकृत संरचना की आवश्यकता है। यह शासन को क्षेत्रीय आबादी की विशिष्ट आवश्यकताओं, भाषाओं और सांस्कृतिक प्रथाओं के प्रति अधिक संवेदनशील होने की अनुमति देता है।
केंद्र शासित प्रदेश: केंद्र द्वारा सीधे प्रशासित
केंद्र शासित प्रदेश क्यों?
केंद्र शासित प्रदेशों को आमतौर पर विशिष्ट रणनीतिक, प्रशासनिक या सांस्कृतिक कारणों से बनाया जाता है:
- रणनीतिक स्थान: जिन क्षेत्रों का राष्ट्रीय सुरक्षा कारणों से विशेष महत्व है, जैसे अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, वे अक्सर केंद्र शासित प्रदेश बने रहते हैं।
- सांस्कृतिक/राजनीतिक विशिष्टता: कुछ छोटे क्षेत्र जिनकी संस्कृति अलग है, जैसे पुडुचेरी, को उनकी अनूठी पहचान की रक्षा के लिए केंद्र शासित प्रदेश के रूप में बनाए रखा गया है।
- राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र: दिल्ली एक विशेष मामला है, जो राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCT) और संघ सरकार की सीट है।
केंद्र शासित प्रदेशों के प्रकार:
- विधानमंडल के साथ: तीन केंद्र शासित प्रदेश—दिल्ली (एनसीटी), पुडुचेरी, और जम्मू और कश्मीर—अपवाद हैं। उन्हें एक निर्वाचित विधानमंडल और एक मुख्यमंत्री के साथ आंशिक राज्य जैसा दर्जा दिया गया है, हालांकि केंद्र सरकार के पास अभी भी महत्वपूर्ण शक्ति है।
- विधानमंडल के बिना: शेष पाँच केंद्र शासित प्रदेशों पर राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त प्रशासक/उपराज्यपाल का सीधा शासन होता है।
मानचित्र की गतिशील प्रकृति
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि इन उप-राष्ट्रीय संस्थाओं की संख्या और सीमाएँ स्थिर नहीं हैं। भारतीय संसद के पास नए राज्य बनाने, मौजूदा राज्यों की सीमाओं को बदलने या केंद्र शासित प्रदेशों की स्थिति बदलने की शक्ति है।
कुछ उल्लेखनीय हालिया परिवर्तनों में शामिल हैं:
- आंध्र प्रदेश से अलग होकर 2014 में तेलंगाना का 29वां राज्य के रूप में निर्माण (जो अब एक बाद के बदलाव के बाद 28वां है)।
- 2019 में राज्य जम्मू और कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों में परिवर्तित करने का पुनर्गठन: जम्मू और कश्मीर और लद्दाख।
- 2020 में दमन और दीव और दादरा और नगर हवेली केंद्र शासित प्रदेशों का विलय।
यह निरंतर विकास विशाल विविधता के साथ कुशल और जन-केंद्रित शासन की आवश्यकता को संतुलित करने के भारत के चल रहे प्रयासों को दर्शाता है।
विविधता में एकता की एक प्रणाली
28 राज्यों और 8 केंद्र शासित प्रदेशों की संरचना एक अरब से अधिक लोगों की विविध आवश्यकताओं को प्रबंधित करने के लिए एक जटिल लेकिन प्रभावी तंत्र है। यह विभिन्न भाषाई समूहों को अपने संबंधित राज्यों में पनपने की अनुमति देता है, जबकि केंद्र सरकार के साथ एक मजबूत संघीय संबंध भी बनाए रखता है। हर इकाई अपनी भाषा, संस्कृति, परंपरा और इतिहास के साथ देश की समृद्धि में योगदान देती है।यह अनूठी प्रशासनिक संरचना वह ढाँचा है जो भारत जैसे विशाल और जीवंत राष्ट्र को एक साथ रखता है, जिससे यह वैश्विक मंच पर विविधता में एकता का एक शानदार उदाहरण बन जाता है।
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